नारायण नागबली पूजा
नारायन नागबली पूजा क्या हैं?
अपने खानदान में ७ पीढ़ी मे जो लोग गुजरे है उन्हें मोक्श प्राप्ती देने के लिये होनेवाला क्रियाकर्म – पिंडदान मतलब ‘नारायण नागबली पूजा’ सती के समशान भुमी में होती हैं| आदमी मरने के बाद पहले दिन से चौदावे दिन तक जो भी क्रियाकर्म होते है वो यहाँ किये जाते है| इस दरम्यान पूजा करनेवालों को सुतक लगता है| सुतक के कुछ नियमों का पालन करन पडता है| पंडितजी इस बारें मे पूरी जानकारी देते है| जिसमे गणे्श देवता, सोने के नाग देवता की पूजा होती है| पूजा के बाद सुतक निकल जाता है| शुद्धिकरण होता है| उसी दिन आप वापसी कर सकते हैं|
नारायन नागबली पूजा क्यों करनी चाहिये?
हमारे घर मे किसी की अकाल म्रुत्यु हो जाये या मरने बाद का क्रियाकर्म विधीविधान से ना हो पायें या लगातार ३ साल हमारे हाथ से पितृ सेवा जैसे पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण ये बाते ना हो तो हमे जो पिडा होनी है, उसे पितृदोष बोलते हैं| इसी पितृदोष को मिटाने के लिये हमे ये पूजा करनी होती हैं|
नारायन नागबली पूजा के लिये कौन बैठ सकता है?
जिन के कुंडली में दोष बताया हैं उसे ये पूजा करनी चाहिये| विवाहित, अविवाहित कोइ भी ये पूजा कर सकता हैं| केवल अकेली महिला ये पूजा नही कर सकती| हिंदु धर्म मे महिलाओं को पिंड दान करने का अधिकार नही है| अपने परिवार का कोइ भी पुरुष ये पूजा कर सकता है|
नारायन नागबली पूजा करने के फायदे?
इस पूजा मे होनेवाले क्रियाकर्म, पिंडदान तर्पण द्वारा हम ७ पिढीं के ग्यात अग्यात पित्रौं को मोक्ष मुक्ती देते है| सद्गती देते है| इससे पित्रौं का आशीर्वाद मिलता है| इससे जिनको संतान ना होती है उन्हे संतान प्राप्ती होती है| काम धंदे में बरकत जोती है| शादी के योग बनते है| आम तौर पर आदमी अपने घर – परिवार के लिये सब कुछ करता है| लेकिन पितृ सेवा में कम पड जाता है| इस पूजा द्वारा हम अपने ७ पढ़ि के पित्रौं को मोक्ष देते है और अपना आद्य कर्तव्य पूरा करते है| क्यों की चारधाम यात्रा से बढकर पितृसेवा को महत्व है जो इस पूजा द्वारा हमारे हात से पूर्ण हो्ता है| इससे हमारे पूरे परिवार का जीवन सफल होता है| जो पित्रों को मोक्ष देता है, उसे भी म्रुत्यु पश्यात मोक्ष मिलता हैं|